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डिजिटल लेन देन को सुरक्षित बनाएगी सरकार, उठा रही ये कदम - सौरभ कुमार श्रीवास्तव

डिजिटल लेन देन को सुरक्षित बनाएगी सरकार, उठा रही ये कदम - सौरभ कुमार श्रीवास्तव

देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के इरादे से मोदी सरकार लगातार काम कर रही है। एप के साथ ही बायोमेट्रिक पहचान के जरिये लेन-देन पर जोर दिया जा रहा है। बढ़ते डिजिटल लेन-देन को देखते हुए सरकार को डेटा सिक्योरिटी की भी बड़ी चिंता है।
ऐसे में सरकार इससे निपटने के विश्व स्तरीय डिटिजल सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएगी।
सरकार मान रही है कि देश में जिस तरह डिजिटल पेमेंट की रफ्तार बढ़ रही है और लोगों के बैंक खातों को आधार और पैन कार्ड के साथ जोड़ा गया है। उससे सुविधाएं तो बढ़ेंगी, लेकिन ग्राहकों के डेटा को लेकर जोखिम भी उतना ही बढ़ रहा है।
इसे देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डाटा सिक्योरिटी के साथ डिजिटल सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सुरक्षा ऑडिट को भी गंभीरता से लिया है।
डेटा सिक्योरिटी के लिए बनेंगे हाई-टेक सेंटर्स
आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद की पहल पर देश में इस तरह की जांच के लिए बुनियादी ढांचा तेजी से तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। इससे जुड़ा का एक प्रस्ताव इसी सप्ताह सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तैयार कर लेगा। इसके तहत उच्च स्तरीय संसाधनों वाले जांच केंद्र स्थापित किये जाएंगे, जहां उपकरणों और डिजिटल सेवा प्रदाताओं का सुरक्षा ऑडिट करने की सुविधा होगी।

बीते दिनों डेटा लीक होने के मामलों ने इस आशंका को और बल दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की समीक्षा बैठकों में माना गया है कि देश में सैन्य बलों के समकक्ष सुविधाओं की आवश्यकता है, ताकि लोगों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की विश्वसनीयता की जांच की जा सके। बल्कि डिजिटल लॉकर और निजी क्लाउड सेवा प्रदाताओं की तरफ से दी जा रही सुविधाओं की सुरक्षा की भी परख हो सके।
दिल्ली और बैंगलुरू में आकार ले रहे सेंटर्स
दिल्ली और बेंगलुरु में इस तरह की एक-एक परीक्षण सुविधा स्थापित करने का काम चल रहा है। इनके अक्टूबर 2017 तक शुरू हो जाने की संभावना है। इसके अलावा निजी स्तर पर ऐसी और लैबोरेटरी खोलने की भी तैयारी है।
कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सिक्योरिटी ऑडिट के लिए 54 एजेंसियों को शुरुआती स्तर पर चुना है। लेकिन सरकार की कोशिश है कि इसके लिए देश में रक्षा क्षेत्र के समान सुविधाएं सार्वजनिक स्तर पर स्थापित की जा सकें।

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